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चौपाई : * गयउ गरुड़ जहँ बसइ भुसुण्डा। मति अकुंठ हरि भगति अखंडा॥ देखि सैल प्रसन्न मन भयउ। माया मोह सोच सब गयऊ॥1॥ भावार्थ:-गरुड़जी वहाँ गए जहाँ निर्बाध बुद्धि और पूर्ण ...